देहरादून: उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में एक ऐसा मामला सामने आया, जिसने नशा करने वालों और उन्हें सपोर्ट करने वालों की आंखें खोलने और सबक सिखाने का काम किया है। विकासनगर क्षेत्र के एक गांव में नशा करने और नशे की सामग्री बेचने वाले परिवार को सामाजिक बहिष्कार का सामना करना पड़ा। परिवार के सदस्य की मृत्यु हो जाने पर गांव वालों ने न तो कब्रिस्तान में दफनाने की इजाजत दी और न ही नमाज-ए-जनाजा पढ़ने दिया गया। इसे लेकर गांव में पंचायत हुई। काफी देर तक विवाद होता रहा।
बाद में ग्राम प्रधान और गांव के अन्य लोगों की मौजूदगी में दोनों पक्षों को समझाया गया। परिवार के लोगों ने नशे से संबंधित गतिविधियों में शामिल न रहने का लिखित वादा किया तब मृतक को दफनाने और नमाज पढ़ने की इजाजत दी गई। नशे के खिलाफ सामाजिक परिवर्तन संस्था ने मुहिम चलाई है। सात हजार आबादी वाले इस गांव में दो बार पंचायत हो चुकी है, जो परिवार नशे की गतिविधियों में शामिल रहे हैं उन्होंने भविष्य में ऐसा न करने का वादा किया है लेकिन एक परिवार पर आरोप है कि उसने न तो पंचायत में भागीदारी की और न नशे से खुद को दूर रखा। इस पर गांव वालों ने पंचायत कर उस परिवार का सामाजिक बहिष्कार कर दिया था। इसी परिवार के सदस्य की बुधवार सुबह मौत हो गई थी। ::::::;::;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;; ::::::::::::::::::::::::::::::::: विज्ञापन:::::::::::::