देहरादून : आपने आमिर खान और करीना कपूर की फिल्म थ्री इडियट तो देखी होगी। उसमें आमिर करीना की बड़ी बहन मोना सिंह की आपात स्थिति में कैसे सीमित संसाधनों में डिलीवरी करवाते हैं। सीमांत जनपद उत्तरकाशी के नौगांव सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में तैनात नर्सिंग आफिसर निशा नौटियाल ने भी आमिर खान की तरह ही जज़्बा दिखाया है, लेकिन फर्क इसमें इतना है कि वो फिल्म थी और यह हकीकत। सीमित संशासनों के बीच निशा ने अपने स्वास्थ्य केंद्र में पीड़ा से तड़फ रही एक महिला का सुरक्षित प्रसव करवाया। चौंकाने वाली बात तो ये है कि महिला ने एक नही, बल्कि एक साथ तीन बच्चों को जन्म दिया। महिला और बच्चे चारों सुरक्षित हैं। प्रसव करवाने के बाद निशा ने जानकारी स्वास्थ्य केंद्र में तैनात डॉक्टर आशीष असवाल को दी। डॉक्टर असवाल ने जज्जा बच्चा की जांच कर उन्हें हायर सेंटर रेफर देहरादून रेफर किया। कम वजन होने के कारण बच्चों को विशेषज्ञ चिकित्सक के निगरानी में रखा जाएगा। आमतौर पर उत्तराखंड के दूरस्थ और सीमांत क्षेत्र संसाधनों से जूझ रहे हैं। कई जगह तो सरकारी कर्मचारी संसाधन के अभाव का हवाला देकर अपनी जिम्मेदारी से भी मुंह मोड़ लेता है, लेकिन जब मन में कुछ करने की ठान लो और इरादा मजबूत हो तो कुछ भी नामुमकिन नहीं है। ऐसी ही मिशाल पेश की है निशा नौटियाल ने। नौगांव सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की नर्सिंग आफिसर निशा नौटियाल के अनुसार, रविवार रात नौ बजे सुनिधि पत्नी सुमन निवासी मोरी ब्लाक अस्पताल पहुंचे। उनके पास एल अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट तक नहीं थी, साथ ही अब तक उन्होंने किसी भी प्रकार की खून की जांच भी नहीं कराई थी। अस्पताल में स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ चिकित्सक (gynecologist and obstetrician) भी नहीं थीं। महिला का तुरंत प्रसव कराया जाना भी जरूरी था। जिसके बाद उन्होंने प्रसव कराने का निर्णय लिया। निशा नौटियाल ने बताया कि महिला और तीनों बच्चे स्वस्थ है। हालांकि, बच्चों का वजन कम होने के कारण उन्हें फिलहाल देहरादून रेफर किया गया है। एक साथ तीन बच्चों के जन्म लेने से क्षेत्र में यह बात चर्चा का केंद्र बनी हुई है। नौगांव सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में यह पहली बार हुआ है। सामान्य तौर पर मेडिकल साइंस के अनुसार, हजार में एक महिला के एक साथ तीन बच्चे हो सकते हैं। हालांकि, अब आइवीएफ तकनीक से तो यह हो सकता है। लेकिन सामान्य डिलीवरी में ऐसा कम होता है। निशा इससे पहले चार साल महंत इंदिरेश अस्पताल देहरादून और एक साल कोरोना काल के दौरान बड़कोट स्वास्थ्य केंद्र में सेवा दे चुकी हैं।