नैनीताल: प्यार व डेटिंग के मामलों में नाबालिग लड़के-लड़कियों के पकड़े जाने की स्थिति में अक्सर लड़के को ही गिरफ्तार किया जाता है। इस पर नैनीताल हाई कोर्ट ने सवाल किया है कि ऐसा क्यों? कोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र व उत्तराखंड सरकार से जबाव मांगा है।
सोमवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति न्यायमूर्ति ऋतु बाहरी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ में अधिवक्ता मनीषा भंडारी की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। जिसमें कहा गया है कि नाबालिग लड़के-लड़कियों के प्यार के मामले में अक्सर हमेशा दोषी लड़के को माना जाता है। कुछ मामलों में लड़की बड़ी होती है तो भी लड़के को ही गिरफ्तार कर लिया जाता है। उसे अपराधी बनाकर जेल में डाल दिया जाता है। जबकि, उसकी गिरफ्तारी के बजाय काउंसिलिंग करनी चाहिए।
जिस उम्र में उसे स्कूल में होना चाहिए तब वह जेल में होता है। किशोर न्याय अधिनियम के तहत ऐसे मामलों में लड़का-लड़की और उनके परिजनों की काउंसिलिंग की जानी चाहिए। भारतीय दंड संहिता में भी 16 से 18 साल के अपराध में लिप्त किशोरों को दंड देने के बजाय उनकी मानसिक स्थिति को जानने के लिए बोर्ड का गठन करने का प्रविधान है। इसके विपरीत पोक्सो एक्ट की कुछ धाराओं में जेल भेज जाता है।
सुनवाई के दौरान कोर्ट के संज्ञान में आया कि कुछ माह पूर्व विजिट के दौरान हल्द्वानी जेल में ऐसे ही आरोपों से संबंधित करीब 20 किशोर बंद मिले।