देहरादून : दीपावली मनाए जाने को लेकर विभिन्न विद्वानों का अपना अपना मत है। कोई 31 अक्टूबर तो कोई 01 नवंबर को दीपावली मनाने का आह्वान कर रहे हैं। आइए जानते हैं ज्योतिष शास्त्र के प्रकांड विद्वान आचार्य अनिल जोशी से दीपावली के बारे में और उसे मनाए जाने को लेकर। *दीपावली कब मनाएं (शंका समाधान)*
*✍️ आचार्य अनिल जोशी 🙏
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प्रदोष व्यापिनी कार्तिक कृष्ण अमावस्या के दिन दीपावली का पर्व मनाया जाता है।
भविष्यपुराण का कथन है कि “प्रदोषसमये लक्ष्मीं पूजयित्वा यथाक्रमम् । दीपवृक्षास्तथा कार्याः शक्त्यादेव गृहेषु च।।”
विक्रम् संवत् 2081 में कार्तिक कृष्ण पक्ष में 31 अक्टूबर 2024 को चतुर्दशी अपराह्न 03:53 तक है, और इस दिन सूर्यास्त सायं 05:40 पर हुआ, जबकि 01 नवम्बर 2024 को अमावस्या सायं 06:17 तक है और इस दिन सूर्यास्त सायं 05:40 पर हुआ है अर्थात् इस वर्ष अमावस्या 31 अक्टूबर और 01 नवम्बर, दोनों दिन व्याप्त है। पहले दिन सम्पूर्ण प्रदोष काल में दूसरे दिन केवल 37 मिनट ही व्याप्त है। निर्णय सिन्धु प्रथम परिच्छेद के पृष्ठ 26 के अनुसार जब तिथि दो दिन कर्मकाल में विद्यमान हो तो निर्णय युग्मानुसार करें। इस हेतु अमावस्या प्रतिपदा का युग्म शुभ माना गया है अर्थात् अमावस्या को प्रतिपदा युता ग्रहण महाफलदायी होता है और लिखा है कि उलटा होय (अर्थात् पहले दिन चतुर्दशी युता अमावस्या ग्रहण की जाये) तो महादोष होता है और पूर्व किये पुण्यों को नष्ट करता है। दीपावली निर्णय प्रकरण में धर्मसिन्धु में लेख है कि
“तत्र सूर्योदयं व्याप्यास्तोत्तरं घटिकादि रात्रि व्यापिनी दर्श न सन्देहः”
अर्थात् जहाँ सूर्योदय में व्याप्त होकर अस्तकाल के उपरान्त एक घटिका से अधिक व्याप्त होकर अमावस्या होवे, तब सन्देह नहीं है। तदनुसार 01 नवम्बर 2024 को दूसरे दिन सिन्धुकार आगे लिखते है
“तथा च परदिने एव दिनद्वये वा प्रदोषव्याप्तौ परा। पूर्वत्रैव प्रदोषव्याप्ती लक्ष्मीपूजादौ पूर्वा, अभ्यंग स्नानादौ पदा, एवमुभयत्र प्रदोष व्याप्त्यभावेऽपि ।।”
निर्णयसिन्धु के द्वितीय परिच्छेद के पृष्ठ 300 पर लेख है कि
अर्थात् यदि अमावस्या दोनों दिन प्रदोष व्यापिनी होवे तो अगले दिन ही करना चाहिए क्योंकि तिथि तत्त्व के अनुसार एक घड़ी रात्रि का योग होये तो अमावस्या दूसरे दिन होती है, तब प्रथम दिन छोड़कर अगले दिन सुखरात्रि होती है। व्रतपर्व-विवेक के अनुसार…
अर्थात् यदि अमावस्या दोनों दिन प्रदोष को स्पर्श न करें तो दूसरे दिन ही लक्ष्मीपूजन करना चाहिए, इसमें यह अर्थ भी अन्तर्निहित है कि अमावस्या दोनों दिन प्रदोष को स्पर्श करे तो लक्ष्मीपूजन दूसरे दिन ही करना चाहिए।
इस प्रकार उपरोक्त सभी ग्रन्थों का सार यह है कि अमावस्या दूसरे दिन प्रदोषकाल में एक घटी से अधिक व्याप्त है तो प्रथम दिन प्रदोष में सम्पूर्ण व्याप्ति को छोड़कर दूसरे दिन प्रदोषकाल में महालक्ष्मी पूजन करना चाहिए, किन्तु कहीं भी ऐसा लेख नहीं मिलता है कि दो दिन प्रदोष में व्याप्ति है तो अधिक व्याप्ति वाले प्रथम दिन लक्ष्मी पूजन करना चाहिए।
अतः उपरोक्त सभी तथ्यों का परिशीलन करने के उपरान्त यह निर्णय लिया जाना शास्त्र सम्मत है कि दूसरे दिन अर्थात् 01 नवम्बर 2024 को श्रीमहालक्ष्मी पूजन (दीपावली) किया जाना शास्त्र सम्मत है। इस दिन सूर्योदय से सूर्यास्त उपरान्त विद्यमान होने से अमावस्या साकल्यापादिता तिथि जो सम्पूर्ण रात्रि और अगले दिन सूर्योदय तक विद्यमान मानी जाकर सम्पूर्ण प्रदोषकाल, वृषलग्न, निशीथ में सिंहलग्न में लक्ष्मीपूजन के लिए प्रशस्त होगी।
शुभम भुयात🌷🌷🌷
*✍️ आचार्य अनिल जोशी 🙏
1 तारीख 6:33 से 7:58 चर मुहूर्त लाभ
9:22 से 10:46 शुभ मुहूर्त
12:10 से 1:35 शुभ अमृत मुहूर्त
4:23 से 5:47 चर मुहूर्त
प्रदोष काल मुहूर्त शाम 5:47 से 8:21
वृषभ लग्न शाम 6:35 से 8:33
वृश्चिक लग्न सुबह 7:44 से 9:59
कुंभ लग्न दोपहर 1:51 से 3:24 सिंह लग्न रात्रि 1:02 मिनट से 3:15 मिनट तक