देहरादून : उत्तराखंड को यूं ही देवताओं (देवभूमि) की धरती नहीं कहा जाता है, क्योंकि यहां वास्तव में देवताओं का वास है। समय समय पर इसके प्रमाण भी मिलते रहते हैं। अभी हाल ही में उत्तरकाशी जनपद में वरुणावत पर्वत के शीर्ष पर ज्ञाणजा में गांव में एक प्राकृतिक गुफा मिली। दो साधुओं ने मिलकर गुफा को विकसित करने का बीड़ा उठाया हैै। इस गुफा में महाभारत कालीन श्रीकृष्ण की मूर्ति मिली है। इसके साथ ही इसके अंदर शिवलिंग भी मिला है। यह गुफा पंचकोसी यात्रा के मुख्य पड़ाव पर स्थित है। ग्रामीणों ने पर्यटन विभाग से गुफा के संरक्षण के लिए मांग की है। जिससे कि यह धार्मिक पर्यटन का केंद्र बन सके।
उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से करीब 170 किलोमीटर दूर और जिला मुख्यालय उत्तरकाशी से करीब 10 किमी दूर भटवाड़ी विकासखंड में यह ज्ञाणजा गांव पड़ता है। जहां हरुना नाम के तोक में जंगलों के बीच स्वामी शंकर महाराज ने करीब 250 मीटर प्राकृतिक गुफा की खोज की। उन्होंने ग्रामीणों के साथ इस गुफा के अंदर जाकर सर्वे किया। जिसमें गुफा के भीतर महाभारतकालीन श्रीकृष्ण की पत्थर की एक मूर्ति मिली। जहां श्रीकृष्ण हाथ में बांसुरी लिए खड़े हैं। गुफा के अंदर स्थापित किया हुआ शिवलिंग भी मिला है। उसके बाद स्वामी शंकर महाराज ने जोगड़ गांव आश्रम के विपुल स्वामी के साथ मिलकर इस गुफा को विकसित करने का बीड़ा उठाया। दोनों साधुओं ने गुफा तक पहुंचने के लिए सिढियां सहित गुफा के मुख को चौड़ा कर वहां पर गेट निर्माण भी किया। वहीं गुफा के अंदर सोलर लाइट भी लगाई गई है।
स्वामी विपुल ने बताया कि पुराणों में उल्लेख है कि यह महाभारत काल में महातपा ऋषि की तपस्थली रही थी। क्षेत्र पंचायत सदस्य तनुजा नेगी ने कहा कि यह गुफा पंचकोसी यात्रा के मुख्य पड़ाव पर स्थित है। इस संबध में उन्होंने पर्यटन विभाग और जिला प्रशासन से गुफा के संरक्षण की मांग की है। जिससे कि यह पर्यटन का नया केंद्र बन सके। उन्होंने गुफा में मिली मूर्ति का पुरातत्व विभाग से संरक्षण की मांग भी की है। उत्तरकाशी के जिला पर्यटन अधिकारी जसपाल चौहान ने बताया कि जिले में केव टूरिज्म के लिए गुफाओं की एक वेबसाइट तैयार की जा रही है। जिसमें इस गुफा को भी शामिल किया जाएगा। गुफा का मौके पर जाकर निरीक्षण भी किया जाएगा।