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63वीं पुण्यतिथि पर भारत रत्न पण्डित गोविन्द बल्लभ पंत को दी श्रद्धांजलि, उनके बताए मार्ग पर चलने का संकल्प लिया - मोनाल एक्सप्रेस

63वीं पुण्यतिथि पर भारत रत्न पण्डित गोविन्द बल्लभ पंत को दी श्रद्धांजलि, उनके बताए मार्ग पर चलने का संकल्प लिया

@  उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय परिसर देहरादून एवं हिमालयन अभ्युदय सामाजिक संस्थान देहरादून के संयुक्त तत्वावधान में हुआ कार्यक्रम

देहरादून : उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय परिसर देहरादून एवं हिमालयन अभ्युदय सामाजिक संस्थान देहरादून के संयुक्त तत्वावधान में देश के गौरव उत्तराखण्ड के सपूत भारत रत्न पण्डित गोविन्द बल्लभ पंत जी की 63वीं पुण्यतिथि उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के देहरादून परिसर में मनाया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ दीप प्रज्जवलन एवं पण्डित गोविन्द बल्लभ पंत जी के चित्र के सम्मुख पुष्पाजंली अर्पित कर किया गया। 

इस अवसर पर निदेशक डॉ सुभाष रमोला ने कहा कि पण्डित गोविन्द बल्लभ पंत जी त्याग के प्रतिमूर्ति थे स्वतन्त्रता आन्दोलन में अग्रणी भूमिका निभाने वाले पण्डित जी दार्शनिक, न्यायविद्, न्यायवेत्ता, दूरदृष्टा के साथ ही कुशल राजनेता थे, उन्होंने कठिनाइयों की परवाह न कर समपर्ण भावना से राष्ट्र हित में कार्य किया। वे सदैव आशावादी रहे। उन्होंने युवाओं से आग्रह किया कि जीवन में सदा आशावादी रहना चाहिए। युवाओं के चेहरे हताशा-निराशा नहीं होनी चाहिए। पण्डित गोविन्द बल्लभ पंत हिमालय के समान शान्त, अडिग, स्थिर एवं आध्यात्मिक राष्ट्र नायक थे। हम सबके लिए गौरव की बात है उन्होंने छात्रों से कहा कि आज संकल्प लेकर राष्ट्र के लिए जीने एवं राष्ट्र के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करने के लिए तैयार रहना होगा ।

हिमालयन अभ्युदय सामाजिक संस्थान के अध्यक्ष राकेश डोभाल ने कहा कि पण्डित गोविन्द बल्लभ पंत महान स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी एवं सामाजिक सरोकारों के संरक्षण के प्रतिमूर्ति थे, उन्होने उत्तराखण्ड के सुदूर अल्मोडा से निकलकर विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के मन्दिर तक का ऐतिहासिक सफर संघर्षों, समर्पण, श्रद्धा एवं राष्ट्र के प्रति समर्पण दिखाता है। उन्होंने कहा कि आज के युवाओं को उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व से सीखना होगा कि विषम परिस्थितियों में कैसे जिया जाता है, ये उनके संघर्षों से सीखा जा सकता है साथ ही उन्होंने राज्य सरकार द्वारा किए जा रहे जनहित के कार्यों की भी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड जब 25 वर्ष की आयु को पूर्ण करेगा तब हम जैविक उत्पादन में देश के अन्य राज्यों को पछाड़ देगें। उन्होंने कहा कि पण्डित गोविन्द बल्लभ पंत कृषि विश्वविद्यालय पंतनगर एक बार पुनः कृषि क्रांति की ओर अग्रसर होगा।

डॉ0 भावना डोभाल ने पण्डित गोविन्द बल्लभ पंत के विचारों पर प्रकाश डाला साथ ही आजादी के आन्दोलन के काल खण्ड में उत्तराखण्ड के क्रान्तिकारियों के बारें में विस्तार से अवगत कराया। उन्होंने कहा कि प्रत्येक भारतवासी की जिम्मेदारी बन जाती है कि उनकी जयन्ती के अवसर पर हिमालय बचाने, पर्यावरण संरक्षण करने का संकल्प लेना ही उनको सच्ची श्रद्धाजंली होगी।

इस अवसर पर मंच संचालन करते हुए डॉ नरेंद्र जगुडी ने कहा कि गोविन्द बल्लभ पंत कानून के जानकार थे। आजादी के कालखण्ड में जब देशभक्तों को फर्जी तरीके से ब्रिटिश सरकार मुकदमें दर्ज करती थी तो उस समय पंत जी बेबाकी से उनका केस लड़ते थे। उनका व्यक्तित्व एवं कृतित्व आज के युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उन्होंने युवाओं से आह्रवान किया कि सशक्त उत्तराखण्ड के निर्माण में सशक्त युवाओं की महत्वपूर्ण भूमिका रहने वाली है इसलिए युवा नशे से दूर रहे। इस कार्यक्रम में अनिल कंडारी, गोविन्द रावत, बृजमोहन खाती, अरविन्द कोटियाल, अजय कुमार, सुनील नेगी, सी०बी० पोखरियाल, चेतन थापा आदि उपस्थित रहे।

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