टिहरी गढ़वाल : उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल की दीपावली खास होती है। 4 से 5 दिन तक गांव में दीवाली का जश्न रहता है। दीपावली के लिए लोग करीब 15 दिन पहले से तैयारी शुरू कर देते हैं। खाने पीने की चीजों के अलावा गांव में भैलू बनाने के अलग ही उत्साह रहता है। इसके लिए जंगल से चीड़ की खास लकड़ियां लाई जाती हैं। इसके अलावा जंगल से ही लगुला लाया जाता है। यह एक रस्सीनुमा होता है, जो विशेष प्रकार की झाड़ी होती है। दीवाली के दिन भैलू बनाया जाता है, फिर रात में इसमें आग लगाई जाती है फिर इसे रंगाया जाता है। रात को आग जला के ढोल नंगाड़े में नृत्य होता है। रातभर नाच गाने का दौर चलता है। इससे पहले शाम को उड़द की दाल की पकोड़ी और गहथ की दाल की रोटी बनाई जाती है, जिसे स्वाले कहा जाता है। पहले दिन छोटी और दूसरे दिन बड़ी दीवाली होती है। देशभर की तरह टिहरी गढ़वाल जिले के बगोड़ी गांव में भी इस बार दीपावली की तिथि को लेकर असमंजस की स्थिति रही। फिर ग्रामीणों ने एक मत होकर 30 अक्टूबर को छोटी और 31 अक्टूबर को बड़ी दीवाली मनाई। हालांकि आस पास के गांव में 31 अक्टूबर को छोटी और 01 नवंबर को बड़ी दीवाली मनाई गई। इस बार बहुत कम लोग दीवाली पर गांव आए थे। ऐसे में छोटी दीवाली पर खास मजा नहीं आया।