देहरादून: श्री बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने की प्रकिया शूरू हो गई है। गाडू घड़ा यात्रा (तेल कलश) के पांडुकेश्वर पहुँचने पर ग्रामीणों ने भव्य स्वागत किया।
बदरीनाथ मंदिर के हकहकूकदारी गोविंद पंवार के अनुसार, इस बार उन्होंने अपने आवास में गाडू घड़ा का स्वागत किया। बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के उपाध्यक्ष किशोर पंवार के अनुसार, परंपरा के मुताबिक आज श्री योगबदरी मंदिर में भगवान उद्घव, कुबेर एवं गाडू घड़ा पूजन व भोग अर्पित किया गया। गाडू घड़ा (तेल कलश) यात्रा टिहरी राजदरबार में पहुँचेगी, जिसके बाद बसंत पंचमी पर ( 26 जनवरी) को भगवान श्री बदरीविशाल के कपाट खुलने की तिथि घोषित की जाएगी। मंगलवार को तेल कलश गाडू घड़ा यात्रा डिम्मर स्थित लक्ष्मी नारायण मंदिर पहुंची। 25 जनवरी शाम को यात्रा ऋषिकेश पहुंचेगी और 26 जनवरी सुबह गाडू घड़ा यात्रा ऋषिकेश से नरेंद्रनगर स्थित राजदरबार पहुंचेगी।
कपाट खुलने पर गाडू घड़ा (तेल कलश) यात्रा का विशेष महत्व, जाने क्या है पूरी प्रक्रिया
धार्मिक परंपरा व मान्यतानुसार टिहरी गढ़वाल जनपद के नरेंद्रनगर स्थित राजमहलगाडू घड़ा(तेल कलश) यात्रा में श्री बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने की प्रक्रिया विधिवत शुरू होती है। बसंत पंचमी पर राजमहल में राजपुरोहित भगवान बदरी विशाल के कपाट खोलने की तिथि और मुहूर्त निकालते हैं। इसी दिन तिल के तेल पिरोने की तिथि भी तय होती है। इसी तिल के तेल से कपाट खुलने पर भगवान बदरीविशाल का अभिषेक किया जाता है। राजमहल में पीत वस्त्रों में राजपरिवार की सुहागिन महिलाएँ तिल का तेल निकालती हैं। इसके बाद गाडू घड़ा(तेल कलश) यात्रा श्री बदरीनाथ धाम के लिए निकलती है, जो विभिन्न पड़ाव होकर धाम तक जाती है और फिर तय की गई तिथि और मुहूर्त पर श्री बदरीनाथ धाम के कपाट विधिविधान के साथ खोले जाते हैं।