देहरादून :गतवर्ष की भांति इस वर्ष भी रक्षाबन्धन पर्व अल्पकालिन होगा। शास्त्रानुसार यह पर्व भद्रा रहित अपराह्न व्यापिनी पूर्णिमा में करना चाहिए। आचार्य पंडित अनिल जोशी के अनुसार, भारत के कुछ प्रदेशों में यह पर्व उदय व्यापिनी पूर्णिमा में मनाने का प्रचलन है। जो की 31 अगस्त को त्रिमुहूर्त न्यून (तीन मुहूर्त 2 घंटा 24 मिनट से कम अवधि) उदय कालिक पूर्णिमा में पड़ रहा है। यह किसी भी रूप से शास्त्र सम्मत नहीं है। तथा 30 अगस्त को अपराह्न व्यापिनी पूर्णिमा में भद्रा दोष पृथ्वी पर व्याप्त है। अत: शास्त्र निर्णय अनुसार 30 अगस्त बुधवार को ही प्रदोष काल के समय भद्रा रहित काल में रात्रि 09 बजकर 03 मिनट के बाद रक्षाबन्धन पर्व मनाया जायेगा। अति आवश्यक परिस्थिति में परिहार स्वरूप भद्रामुख सायं 6:32 से रात्रि 08:13 तक के समय को छोड़कर भद्रा पुच्छकाल सायं 05 बजकर 32 मिनट से 06 बजकर 32 मिनट तक में भी रक्षाबन्धन करना कुछ मर्यादा तक ग्राह्य रहेगा।
अतः सुप्रसिद्ध धर्म ग्रन्थों निर्णय सिन्धु,धर्म सिन्धु, पुरुषार्थ चिन्तामणि, कालमाधव, निर्णयामृत आदि के अनुसार दिनांक 31 अगस्त को पूर्णिमा तिथि तीन मुहूर्त से कम होने के कारण दिनांक 30 अगस्त को ही रक्षा बन्धन शास्त्र सम्मत हैं।
भद्रा निर्णय:👉 मुहूर्त चिन्तामणि 1/45 के अनुसार कुम्भ राशि के चन्द्रमा में भद्रा वास पृथ्वी पर होने से इस दिन कुम्भस्थ चन्द्रमा की भद्रा को पीयूषधारा, मुहूर्त गणपति, भूपाल बल्लभ, आदि ग्रन्थों में अशुभ व अग्राह्य बताया गया है। भद्रा का वास जिस लोक मे होता है वही इसका अधिक प्रभाव मान्य है मुख्य रूप से भद्रा का वास पृथ्वी पर होने पर ही इसका शुभाशुभ प्रभाव जनमानस के ऊपर अधिक देखा जाता है।
(देखिए वृहद् दैवज्ञ-रंजन 26/40)
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ 👉 अगस्त 30, को प्रातः 10:58 बजे से.
पूर्णिमा तिथि समाप्त 1 अगस्त 31 को प्रातः 07:05 पर।
भद्रा आरम्भ 👉 30 अगस्त प्रातः 10 बजकर 58 मिनट से।
भद्रा अन्त समय 👉 30 अगस्त रात्रि 09:01 मिनट पर।
मुहूर्त प्रकाश में स्पष्ट ही कहा है कि अतिआवश्यक कार्य में मुख मात्र को छोड़कर सम्पूर्ण भद्रा में शुभ कार्य कर सकते हैं। रक्षाबंधन से पहले इस दिन प्रातः अथवा दोपहर के समय अपने घर के मुख्य द्वार पर गेरू (खड़िया) अथवा अन्य रूप से रक्षाबंधन का पूजन करते है वो लोग अगर भद्रा के बाद रात्रि 09:01 के बाद पूजन ना करना चाहे तो
इसके लिये भद्रा पूँछ के समय सायं 05:30 से सायं 06:31 तक देहरी पूजन संपन्न कर सकते है अथवा 31 अगस्त की प्रातः 07 बजकर 05 मिनट से पहले यह पूजन करना ही अत्यंत शुभ होगा।
इस दिन भद्रा पूर्णिमा तिथि के आरम्भ होने के साथ ही प्रातः 10 बजकर 58 मिनट से आरम्भ हो रही है तथा रात्रि 09 बजकर 01 मिनट पर समाप्त होंगी भद्रा का वास भी कुम्भ के चन्द्र होने के कारण दिनभर पृथ्वी पर ही रहेगा इसलिए रक्षा बंधन का समय भद्रा के रात्रि 09 बजकर 01 मिनट पर समाप्त होने के बाद ही उपलब्ध है।
राजकीय अवकाश व व्यवहारिक पक्ष
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भारत सरकार द्वारा मूर्धन्य विद्वानों की अनुशंसा पर 30 अगस्त को रक्षाबंधन का राजकीय अवकाश घोषित किया गया है अतः पूरे विश्व में 30 अगस्त को रक्षाबंधन का पर्व रात्रि 09:02 बजे से 31 अगस्त प्रातः 07:05 बजे तक नि:शंकोच होकर मनायें इस अवधि मे भद्रा का कोई दोष नहीं है। किसी भी हालत में पर्व दो दिन न हो यह प्रयास करें।
निर्णय का सार 👉 दिनांक 30 अगस्त 2023 को रात्रि 09:02 बजे से 31 अगस्त प्रातः 07:05 बजे तक बिना किसी संकोच के रक्षाबंधन निःशंकोच मनायें तथा पर्वों की एकरूपता बनाये रखें ।
रक्षाबंधन के विशेष उपाय
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यदि आप बहनो का कोई भाई ज्यादा बीमार रहता हो या किसी अन्य परेशानी में हो तो निम्न उपाय करना चाहिए।
रक्षा बंधन के दिन राखी बांधने से ठीक पहले अपनी दायीं मुट्ठी में पीली सरसों (1चम्मच) व 7 लोंग लेवे।
उस सामग्री को भाई के ऊपर से एन्टी क्लॉक वाइज 27 बार लगातार उल्टा उसार देवे। फिर उसी वक्त उस सामग्री को गर्म तवे पर डाल कर ऊपर से कटोरी उल्टी रखे। जब सारी सामग्री काले रंग की हो जाये तब नीचे उतार लेवे व चौराहे पर किसी से फिकवां देवे। खुद नही फेके।
ध्यान रहे सरसो व लोंग आपको अपने घर से लेकर जाने है यदि आप शादी सुदा है तो । अन्यथा खुद ही बाजार से नए खरीदे। घर के काम मे नही लेवे। उपाय के बाद तवे को भी अच्छे से धो लें सरसो उसरने के बाद ज्यादा देर घर मे ना रखें तुरंत बाहर ले जाएं। इस उपाय को राखी के दिन ही करना है। पुनरावृत्ति न करे।
-आचार्य अनिल जोशी 🙏