मुख्य सचिव ने राष्ट्रीय वैज्ञानिक संस्थानों संग बैठक में दिए निर्देश
मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने राष्ट्रीय संस्थानों संग बैठक की
सैटेलाइट इमेज और ग्राउंड टेस्टिंग से बनेगा मॉडल
13 ग्लेशियर झीलों पर लगेगा सेंसर, पहले चरण में 6 संवेदनशील झीलें
फंड की कमी नहीं होने देंगे: मुख्य सचिव
मल्टी-इंस्टीट्यूशनल टास्क, त्वरित कार्रवाई के निर्देश
देहरादून। मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने कहा कि प्रदेश को भूस्खलन से सुरक्षित बनाने के लिए अब वैज्ञानिक पूर्वानुमान मॉडल तैयार किया जाएगा। इसके लिए इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग, जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया, वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान एवं सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट को संयुक्त रूप से कार्य करने के निर्देश दिए गए।
उन्होंने कहा कि सैटेलाइट इमेज और धरातलीय परीक्षण के आधार पर ऐसा मैकेनिज्म तैयार होना चाहिए, जो यह अनुमान लगा सके कि कितनी वर्षा पर किस स्थान पर भूस्खलन की आशंका है, ताकि समय रहते निचले इलाकों को खाली कराया जा सके।
मुख्य सचिव ने वाडिया संस्थान को प्रदेश की 13 ग्लेशियर झीलों में सेंसर लगाने की जिम्मेदारी दी। शुरुआत में छह संवेदनशील झीलों पर सैटेलाइट व धरातलीय परीक्षण कर सेंसर स्थापित किए जाएंगे। साथ ही झीलों की संवेदनशीलता कम करने के उपाय भी खोजे जाएंगे।
उन्होंने कहा कि यह एक मल्टी-इंस्टीट्यूशनल टास्क है और इसमें यू-सैक व सेंट्रल वॉटर कमीशन सहित सभी संस्थानों का सहयोग लिया जाएगा। मुख्य सचिव ने आश्वासन दिया कि इस कार्य के लिए फंड की कोई कमी नहीं रहेगी।
बैठक में सचिव विनोद कुमार सुमन, आईजी एसडीआरएफ अरुण मोहन जोशी, महानिदेशक यूकॉस्ट प्रो. दुर्गेश पंत सहित कई वैज्ञानिक व वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।