देहरादून: उत्तराखंड पुलिस की साइबर क्राइम टीम ने एक सेवानिवृत्त सूबेदार मेजर से ₹34 लाख से ज़्यादा की ठगी करने वाले एक साइबर अपराधी को छत्तीसगढ़ के भिलाई से गिरफ़्तार किया है। आरोपी की पहचान हर विलास नंदी के तौर पर हुई है, जो एक अंतरराष्ट्रीय ऑनलाइन ठगी गिरोह का सरगना है। वह पुलिस से बचने के लिए नक्सल प्रभावित क्षेत्र दंतेवाड़ा में छिपा हुआ था।
ठगी की पूरी घटना
देहरादून के जौलीग्रांट निवासी एक रिटायर्ड सूबेदार मेजर ने साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई थी। उन्होंने बताया कि उन्होंने फ़ेसबुक पर एक ट्रेडिंग ऐप देखा था, जिसे डाउनलोड करने के बाद वह ‘अपोलो एकेडमी ग्रुप’ नाम के एक ग्रुप में शामिल हो गए। इस ग्रुप में ‘जसलीन कौर’ नाम की एक महिला और ‘जॉन पीटर हुसैन’ नाम का एक गुरु ट्रेडिंग के बारे में बताते थे। उनके कहने पर सूबेदार मेजर ने अपोलो इंडिया प्राइवेट इक्विटी (IV) मॉरीशस लिमिटेड में पैसे निवेश करना शुरू किया। इस तरह, उन्होंने अलग-अलग तारीखों पर कुल ₹34,17,000 निवेश किए। बाद में उन्हें पता चला कि उनके साथ ठगी हुई है।
पुलिस की कार्रवाई और गिरफ़्तारी
साइबर पुलिस ने बैंक खातों और मोबाइल नंबरों की जाँच की, जिससे मास्टरमाइंड हर विलास नंदी का नाम सामने आया। जाँच में पता चला कि आरोपी 10 साल तक दुबई में रहा था और उसके बैंक खाते की ईमेल आईडी फ़िलीपींस में संचालित होती थी। ठगी का पैसा उसके बैंक खाते में आता था और उसे दुबई में निकाला जाता था। पुलिस को उसके बैंक खाते में सिर्फ़ एक महीने में लगभग ₹3.46 करोड़ का लेनदेन होने की जानकारी मिली।
एसएसपी एसटीएफ़ नवनीत सिंह के अनुसार, अभियुक्त हर विलास नंदी बहुत शातिर है। उत्तराखंड पुलिस के बारे में पता चलने पर वह अपनी रिश्तेदारी में नक्सल प्रभावित क्षेत्र दंतेवाड़ा में जाकर छिप गया था। पुलिस टीम ने भिलाई में डेरा डालकर उसकी निगरानी की। जैसे ही उसे लगा कि माहौल सामान्य हो गया है और वह अपने ठिकाने से बाहर निकला, तो टीम ने उसे पकड़ लिया।
आरोपी के पास से मिली चीज़ें
पुलिस को आरोपी हर विलास नंदी के पास से ये चीज़ें मिलीं:
* यूएई, ओमान और अमेरिका की विदेशी मुद्रा
* यूएई का रेसिडेंशियल कार्ड
* भारतीय आधार कार्ड और पैन कार्ड
* एक एटीएम कार्ड
* एक वीवो कंपनी का मोबाइल फ़ोन
अन्य अपराधों में भी शामिल
पुलिस ने एनसीपीआर पोर्टल पर जाँच की, तो पता चला कि हर विलास नंदी के ख़िलाफ़ पूरे भारत में 37 शिकायतें दर्ज हैं। वह भिलाई में एक स्टील कंपनी में सुपरवाइज़र के तौर पर काम करता था और अपने संपर्क में आने वाले मज़दूरों को लालच देकर उनके बैंक खाते ₹50,000 से ₹1 लाख में खरीदता था। पुलिस अब उसके और उसके गिरोह के बारे में और जानकारी जुटा रही है।