देहरादून: गाय को माता का दर्जा दिया गया है। कहा जाता है कि गाय में 33 करोड़ देवी देवताओ का निवास होता है, लेकिन बाजारीकरण के इस दौर में अब गाय की बेकद्री भी होने लगी है। लोग जब तक गाय दूध देती है तब तक उसे पालते हैं और फिर सड़कों पर छोड़ देते हैं। जिससे कई बार सड़क दुर्घटनाएं भी होती हैं। इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए अब उत्तराखंड सरकार गाय का गोबार खरीदने जा रही हैं। योजना के तहत श्रीनगर और सितारगंज में दो बड़े बायोगैस संयंत्र स्थापित किए जा रहे हैं। इसके साथ ही सरकार जल्द ही गाय के गोबर की खरीद भी शुरू करेगी, जिसका उपयोग इन संयंत्रों में किया जाएगा।
पशुपालन, मत्स्य, कौशल विकास एवं गन्ना विकास मंत्री सौरभ बहुगुणा ने बताया कि गाय के गोबर की खरीद को जल्द ही दरें निर्धारित की जाएंगी। यह अधिकतम दो रुपये प्रति किलोग्राम तक हो सकती है। शीघ्र ही इसका प्रस्ताव कैबिनेट में आएगा।
लावारिस गोवंश के संरक्षण के लिए नीति बनाने वाला उत्तराखंड पहला राज्य है। इसके तहत मंडल स्तर पर गोशालाएं निर्मित की जा रही हैं। इनमें पशुओं के चारे के लिए प्रतिदिन 80 रुपये की राशि दी जा रही है, जो देश मे सबसे अधिक है। राज्य में भूसे पर 50 प्रतिशत सब्सिडी दी जा रही है। घायल व बीमार पशुओं के उपचार के लिए वर्तमान में 60 विकासखंडों में इतनी ही एंबुलेंस संचालित हैं, शेष 35 विकासखंडों के लिए व्यवस्था की जा रही है।
यह होगी योजना
गंगा-गाय योजना में पहाड़ की परिस्थितियों को देखते हुए एससी, एसटी व महिलाओं के लिए 75 प्रतिशत तक सब्सिडी का प्रविधान किया गया है। उन्होंने कहा कि राज्य में दुग्ध कलेक्शन में 25 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। अब देखना है कि यह योजना कब धरातल पर आती है और कितनी कारगर साबित होती है।