देहरादून: उत्तराखंड के चमोली जिले के गोपेश्वर में भालू की मौत पर जल संस्थान के तीन कार्मिकों पर वन्य जीव सुरक्षा अधिनियम 1972 के अंतर्गत मुकदमा दर्ज हुआ है। यहां नमामि गंगे परियोजना के अंतर्गत संचालित सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) में करंट लगने से भालुओं की मौत हो गई थी। वन विभाग के अधिकारियों ने मामले में तहरीर दी थी। तीनों कर्मचारियों पर ट्रासंफार्मर की सुरक्षा को लेकर लापरवाही बरतने का आरोप है।
दरअसल, बुधवार को गोपेश्वर में नमामि गंगे परियोजना के अंतर्गत संचालित एसटीपी में करंट लगने से एक मादा भालू और शावक की मौत हो गई थी। बताया जा रहा है कि पहले शावक ट्रांसफार्मर में करंट का शिकार हुआ, मादा भालू उसे बचाने के लिए गई तो वह भी चपेट में आ गई। वन विभाग की टीम ने जल संस्थान के अधिकारियों को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया है। प्रभागीय वन अधिकारी केदारनाथ तरुण एस का कहना है कि प्लांट में लगे ट्रासंफार्मर की सुरक्षा को लेकर लापरवाही बरती गई है। यहां सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं हैं। दूसरी ओर, जल संस्थान के सहायक अभियंता अरुण गुप्ता ने कहा कि सीवर ट्रीटमेंट प्लांट के बाहर विभागीय जमीन पर रैलिंग लगाई गई है। रैलिंग के अंदर सिर्फ विभागीय अधिकारी, कर्मचारी या फिर आपरेटरों आते हैं, जिस ट्रांसफार्मर पर भालुओं की करंट लगने से मौत हुई है, वह भी रैलिंग के विभागीय परिसर में है। ट्रांसफार्मर के चारों ओर लकड़ी की घेरबाड़ की गई है। सुरक्षा के बाद भी भालू रात को ट्रांसफार्मर में घुसे।