उत्तरकाशी । भटवाड़ी ब्लॉक स्थित विश्वविख्यात दयारा बुग्याल में शुक्रवार को पारंपरिक एवं धार्मिक बटर फेस्टिवल (अंढूड़ी उत्सव) हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। करीब 11 हजार फीट की ऊँचाई पर फैले 28 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र वाले इस मनमोहक बुग्याल में स्थानीय ग्रामीणों के साथ-साथ देश-विदेश से आए पर्यटकों ने दूध, मट्ठा और मक्खन की होली खेलकर परंपरा को जीवंत किया।
पंचगई पट्टी के गाँव रैथल, क्यार्क, बन्दरणी, नटिन और भटवाड़ी से आए ग्रामीणों ने अपने ईष्ट भगवान सोमेश्वर देवता की डोली की पूजा-अर्चना कर प्रकृति और पशुधन की समृद्धि की कामना की। पर्व के दौरान ग्रामीणों व पर्यटकों ने एक-दूसरे पर दूध, मट्ठा और मक्खन लगाकर खुशियां साझा कीं।
आपदा के बीच सादगी से आयोजन
धराली आपदा और प्रदेश के कई हिस्सों में आई प्राकृतिक आपदाओं को देखते हुए इस वर्ष पर्व को अपेक्षाकृत सादगी से मनाया गया। परंपरानुसार यह उत्सव भाद्रपद संक्रांति (अगस्त मध्य) को होना था, किंतु आपदा के चलते इसे सितंबर में आयोजित किया गया।
दयारा पर्यटन उत्सव समिति के अध्यक्ष मनोज राणा ने कहा कि यह पर्व हमारी लोक संस्कृति, परंपरा और धार्मिक आस्था का प्रतीक है। उन्होंने बताया कि आपदा के बावजूद परंपरा को बनाए रखने हेतु आयोजन एक माह बाद किया गया। साथ ही सरकार से दयारा बुग्याल में ग्रीष्मकालीन एवं शीतकालीन पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए आधारभूत सुविधाएं विकसित करने की मांग भी की जाएगी।
देवता का डांगरी पर नृत्य
पर्व का सबसे आकर्षक क्षण रहा जब सोमेश्वर देवता ने डांगरी (लोहे के परसे) पर नृत्य कर श्रद्धालुओं को आशीर्वाद दिया। करीब 50 मीटर तक देवता का पसुवा नंगे परसे पर 100 बार चला और उपस्थित जनसमूह को सुख, समृद्धि व खुशहाली का आशीर्वाद प्रदान किया।
स्थानीय मान्यता है कि सोमेश्वर देवता इंद्र देव से जुड़े हैं। सूखे के समय ग्रामीण वर्षा की प्रार्थना करते हैं और अधिक वर्षा होने पर रोकने की भी मन्नत करते हैं। इस बार भी देवता की डोली के आगमन और प्रस्थान के दौरान बारिश न होने पर ग्रामीणों ने देवता का आभार जताया।
पर्व की परंपरा और अनोखापन
मान्यता है कि ग्रीष्मकाल में ग्रामीण अपने पशुधन को दयारा के हरे-भरे बुग्यालों में चराने लाते हैं, जिससे पशुओं की सेहत और दूध उत्पादन में वृद्धि होती है। इसी समृद्धि के प्रति आभार व्यक्त करने हेतु ग्रामीण बटर फेस्टिवल मनाते हैं।
अपने अनोखेपन के कारण यह पर्व आज वैश्विक आकर्षण बन चुका है। बीते दो दशकों से दयारा पर्यटन उत्सव समिति ग्रामीणों के सहयोग से इसका भव्य आयोजन करती आ रही है। दूध, मक्खन और मट्ठा की होली का यह अद्वितीय उत्सव हर साल हजारों देशी-विदेशी पर्यटकों को रैथल और दयारा बुग्याल खींच लाता है।