देहरादून। झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद शिबू सोरेन का सोमवार सुबह निधन हो गया। वे 81 वर्ष के थे। दिशोम गुरुजी के नाम से प्रसिद्ध शिबू सोरेन ने दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में सुबह 8:56 बजे अंतिम सांस ली।
शिबू सोरेन को करीब डेढ़ महीने पहले ब्रेन स्ट्रोक हुआ था, जिससे उनके शरीर का बायां हिस्सा पैरालाइज्ड हो गया था। वे पिछले एक महीने से लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर थे।
::::आज शाम रांची पहुंचेगा पार्थिव शरीर ::::::
झारखंड सरकार ने उनके निधन पर 3 दिन का राजकीय शोक घोषित किया है।
झामुमो (JMM) प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने जानकारी दी कि उनका पार्थिव शरीर आज शाम 5-6 बजे तक रांची लाया जाएगा।
राजनीतिक सफर: संघर्षों से सत्ता तक
शिबू सोरेन झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के संस्थापक संरक्षक थे।
उन्होंने जल, जंगल और जमीन के अधिकारों के लिए लगभग 40 वर्षों तक संघर्ष किया।
अलग झारखंड राज्य के गठन में उनकी भूमिका ऐतिहासिक रही।
मुख्यमंत्री और कोयला मंत्री रहे
वे झारखंड के तीन बार मुख्यमंत्री बने।
मनमोहन सिंह सरकार में वे दो बार कोयला मंत्री रहे।
दुमका लोकसभा सीट से आठ बार सांसद चुने गए।
इसके अलावा जामा विधानसभा सीट से एक बार विधायक बने।
राज्यसभा के लिए तीन बार निर्वाचित हुए, और निधन के समय भी राज्यसभा सदस्य थे।
कम उम्र में ही शुरू किया सामाजिक संघर्ष
शिबू सोरेन ने महज 13-14 वर्ष की उम्र में सामाजिक संघर्ष की राह पकड़ी थी।
उनके पिता सोबरन मांझी की महाजनों द्वारा हत्या के बाद वे आदिवासी, दलित, पिछड़े और मूलवासी समाज के हक-हुकूक की लड़ाई में कूद पड़े।
झारखंड की राजनीति में एक युग का अंत :::::
शिबू सोरेन के निधन को झारखंड की राजनीति में एक युग का अंत माना जा रहा है। उन्होंने राज्य के आदिवासी समाज के अधिकारों की रक्षा के लिए जो आंदोलन चलाया, वह आज भी राज्य के राजनीतिक इतिहास में एक मिसाल बना हुआ है।