देहरादून : माल्टे को एक दौर में सभी सरकारों ने धूमधाम से उसी तर्ज पर आगे बढ़ाया जैसे आजकल कीवी और एपल मिशन पर शोर सुनाई पड़ता है. माना गया कि माल्टा पहाड़ मे फल उत्पादन की आर्थिकी में बदलाव की नयी इबारत लिखेगा. लेकिन आज जब प्रदेश में हर वर्ष लगभग नब्बे हजार मैट्रिक टन का उत्पादन हो रहा है तब उसका पहाड़ के आर्थिक तंत्र में योगदान न के बराबर है और उसके बाजार और सही कीमत पर बड़ा सवालिया निशान खड़ा हुआ है।
एक बड़ा सवाल उस मार्केटिंग बोर्ड की भुमिका का भी है जो इन फलों को सही कीमत और बाजार के लिए गठित हुआ है और एक सवाल सामजिक राजनीतिक क्षेत्र में इस मुद्दे को लेकर उदासीनता का भी.
इन सब सवालों के इर्द गिर्द हरेला गाँव-धाद का वार्षिक आयोजन माल्टे के महीने आयोजित किया जा रहा है.जिसका प्रारम्भ एक विमर्श के साथ होगा.
माल्टा के बहाने पहाड़ के फल और उनकी आर्थिकी का सवाल का आयोजन दून लाइब्रेरी सभागार में 10 दिसम्बर को होना तय हुआ है. जिसमे उद्यान विशेषज्ञ डॉ राजेंद्र खुगसाल, उद्यमी और प्रगतिशील किसान बीरभान सिंह और डॉ तेजपाल बिष्ट, असिस्टेंट प्रोफेसर,उद्यानिकि विभाग एच.एन.बी.केन्द्रीय विश्वविद्यालय,श्रीनगर के विषय पर अपना पक्ष रखेंगे.आप सब इस अवसर पर सादर आमंत्रित है.
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संयोजक: साकेत रावत 9837046489 सचिव: किशन सिंह 9412935561